प्रकृति की ओर चलो कार्यक्रम
आयुष्य मंदिरम संस्था के तत्वावधान में 'प्रकृति की ओर चलो' कार्यक्रम का आयोजन रविवार को जिला के गाँव टांकड़ी स्थित अरावली की पहाड़ियों पर किया गया।
योगाचार्या सुषमा के नेतृत्व में दर्जनों की संख्या में योग साधकों, महिलाओं, बच्चों एवं बुजर्गों ने पहाड़ी के ऊपर स्थित दुर्गा माता मंदिर में देवी के दर्शन करने के बाद वहीं मंदिर प्रांगण के शांत वातावरण में आसन, प्राणायाम एवं योग निद्रा ध्यान का आनन्द लिया।
भ्रामरी प्राणायाम करते हुए योग साधक |
अरावली पहाड़ी के मंदिर प्रांगण में योग करते हुए साधक |
वहीं बच्चों व महिलाओं ने एडवांस योग के साथ ताड़ासन, वृक्षासन, भ्रामरी, नाड़ी शोधन प्राणायाम, जल नेति, नेत्र प्रक्षालन एवं शंख वादन की बेहतर प्रस्तुति दी।
प्रात: प्रकृति की गोद में योग एवं भ्रमण करने से हम स्वस्थ एवं मजबूत बनते हैं : डॉ. प्रतिभा
इस पर डॉ. प्रतिभा यादव ने कहा कि वास्तव में प्रकृति हमारी माँ की तरह होती है, जो हमें कभी नुकशान नहीं पहुंचाती बल्कि हमारा पालन-पोषण करती है। प्रात: प्रकृति की गोद में भ्रमण एवं योग करने से हम स्वस्थ एवं मजबूत बनते हैं, साथही यह हमें बहुत सारी बीमारियों जैसे डायबिटीज़, हृदयाघात, उच्च रक्तचाप, लिवर व उदर संबंधी समस्याओं आदि से भी दूर रखती है।
इस पर डॉ. प्रतिभा यादव ने कहा कि वास्तव में प्रकृति हमारी माँ की तरह होती है, जो हमें कभी नुकशान नहीं पहुंचाती बल्कि हमारा पालन-पोषण करती है। प्रात: प्रकृति की गोद में भ्रमण एवं योग करने से हम स्वस्थ एवं मजबूत बनते हैं, साथही यह हमें बहुत सारी बीमारियों जैसे डायबिटीज़, हृदयाघात, उच्च रक्तचाप, लिवर व उदर संबंधी समस्याओं आदि से भी दूर रखती है।
इस मौके पर योगाचार्या सुषमा ने साधकों को बताया कि प्रकृति हमारे जीवन का मूल है। प्रकृति के बिना हम कल्पना भी नहीं कर सकते। हमारी आधारभूत जरूरतें हवा, पानी, भोजन आदि सभी प्रकृति से ही प्राप्त होते हैं। प्रकृति हमारी जननी है, जो हमें जीवन देती है। प्रकृति ही हमारा पालन-पोषण करती है। अत: प्रतिदिन कुछ समय हमें प्रकृति के साथ भी व्यतीत करना चाहिए।
पहाड़ी भ्रमण के दौरान सीनियर सिटीजनों ने साझा किये अपने अनुभव
पहाड़ी भ्रमण को लेकर सीनियर सिटीजन व बच्चे काफी खुश व उत्साहित नजर आये। इस मौके पर करीब 80 वर्षीय डॉ. एस. आर. गुप्ता और शांति देवी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि हमें इस कार्यक्रम से थकान नहीं बल्कि मानसिक शांति की अनुभूति हुई। आज की दौड़ती जिंदगी में तनावमुक्त रहने के लिए हमें खुद को सांसारिक झमेलों से हटाकर कुछ समय प्रकृति के साथ बिताना चाहिए।
इस मौके पर गाँव गढ़ी निवासी हनुमान और उनके बेटे ने आये सभी योगार्थियों को श्रद्धाभाव से प्राकृतिक विधि से तैयार प्रसाद वितरित किया और मट्ठा पान भी कराया।