योग सबके लिए

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योग सबके लिए

योग सही तरीके से जीवन जीने की युक्ति है और इसे सभी के द्वारा अपने दैनिक जीवन में शामिल किया जाना चाहिए। यह हमारे जीवन से संबधित भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक आदि सभी पहलुओं पर समान रुप से कार्य करता है। योग का अर्थ एकता या बांधना। यह योग या एकता या मिलन यम-नियम, आसन, प्राणायाम, मुद्रा, बंध, षट्कर्म और ध्यान के अभ्यास  से होती है। 

योग शब्द की उत्पति संस्कृत शब्द ‘युज्’ से हुई है जिसका अर्थ है जोडना। योग शब्द के दो अर्थ हैं और दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। पहला है-जोड और दूसरा है समाधि। जब तक हम स्वयं से नहीं जुडते, समाधि तक पहुंचना असंभव होगा। योग का अर्थ परमात्मा से मिलन है। 

योग स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने की कला है। योग के माध्यम से शरीर, मन और मस्तिष्क को पूर्ण रुप से स्वस्थ किया जा सकता है। तीनों के स्वस्थ रहने से आत्मा स्वतः ही स्वयं को स्वस्थ महसूस करती है। आरोग्य, दीर्घायु, सिद्धि और समाधि के लिए योग किया जाता रहा है।

योग निश्चित रूप से सभी प्रकार के बंध्नों से मुक्ति प्राप्त करने की युक्ति है। वर्तमान समय में हुए चिकित्सा शोधें ने योग से होने वाले कई शारीरिक और मानसिक लाभों के रहस्य प्रकट किए हैं। साथ ही साथ योग के लाखों अभ्यासियों के अनुभव के आधर पर इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि योग किस प्रकार सहायता कर सकता है।

योग में   छुपे हुए   हैं   हजारों बिमारियों को ठीक करने के गुण 

योग के फायदे बच्चों से लगाकर बुजूर्गों, महिलाओं एव गर्भवती महिलाओं सभी को होते है। योग में हजारों बिमारियों को ठीक करने के गुण छुपे हुए हैं। दैनिक जीवन में योग का अभ्यास करना हमें बहुत सी बीमारियों से बचाने के साथ ही कई सारी भयानक बीमारियों जैसे-कैंसर, मधुमेह (डायबिटीज), उच्च व निम्न रक्त दाब, हृदय रोग, किडनी का खराब होना, लीवर का खराब होना, गले की समस्याओं तथा अन्य बहुत सी मानसिक बीमारियों से भी हमारी रक्षा करता है। इस बात को देश-विदेश के चिकित्सक तक मान चुकें हैं कि जो बीमारियां दवाइयों से ठीक नहीं हो पाती उनका इलाज भी योग में सम्भ्व है। नियमित योग करने से शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से कार्य करने लगते हैं। योग में शरीर के हर छोटे से छोटे अंग का व्यायाम होता है। छोटे व्यक्ति से लेकर बुजुर्ग व्यक्ति तक कोई भी आसान कर सकता है। इसके द्वारा मनुष्य के अंदर की नकारात्मकता को खत्म किया जा सकता है। योग तन के अलावा मन को भी शांति देता है। योग आपके विचारों को शुद्ध एवं नियंत्रित करता है जिससे मन शांत रहता है। वर्तमान में नजर उठाकर बच्चों से लेकर बुर्जुगों तक सभी तनाव के शिकार होते जा रहें है, जो कि रोगों का मूल कारण बनता जा रहा है। मानसिक रुग्णता का मूल कारण चितवृतियों का बाहरी वस्तुओं में असाक्ति, उलझाव एवं बिखराव है। योगिक प्रक्रियाओं को यदि विधिवत रुप से अपनाया जाये तो इन सभी समस्याओं का निकारण होने लगता है और एक गहरा संतुलन उपलब्ध होने लगता है।   लेकिन योग का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए योगाभ्यास करते समय योग के अभ्यासी को नीचे दिए गए दिशा निर्देशों एवं सिद्धांतों का पालन अवश्य करना चाहिए-

योग से पूर्व  नियम 

  • योग अभ्यास खाली पेट अथवा अल्पाहार लेकर करना चाहिए। 
  • योग अभ्यास मल-मूत्र का विसर्जन करने के बाद ही प्रारम्भ करना चाहिए।
  • योग अभ्यास के लिए चटाई, दरी, कंबल अथवा योग मैट का प्रयोग करना चाहिए।
  • थकावट, बीमारी, जल्दबाजी या सर्जरी आदि की स्थितियों में योग नहीं करना चाहिए।
  • यदि पुराने रोग, पीडा एवं हदय संबंधी समस्याएं हैं तो ऐसी स्थिति में योग अभ्यास शुरु करने के पूर्व चिकित्सक अथवा योग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए।
  • गर्भावस्था एवं मासिक धर्म के समय योग करने से पहले योग विशेषज्ञ से परामर्श किया जाना चाहिए।
  • योग अभ्यास नियमित एवं एक निश्चित समय के साथ करना चाहिए।
  • योग अभ्यास के लिए किसी सुरक्षित और सही स्थान का चुनाव करना चाहिए। जहो शुद्ध हवा का संचार होता हो, आपके आसपास की जमीन साफ और समतल ;एक समानद्ध हो तथा बाहरी शोरगुल रहित शांत वातावरण हो।मोबाइल आदि भी दूर ही रहें।
  • कपडे कम और ढीले पहनना चाहिए तथा अभ्यास के समय बोलना नहीं चाहिए। 
  • योग अभ्यास 40-60 मिनट तक करना उपयुक्त रहता है।
  • योग अभ्यास सुबह खाली पेट या भोजन के 4 घण्टे बाद दिन में एक बार करना पर्याप्त रहता है।
  • योग अभ्यास स्नान के बाद करना चाहिए या योगाभ्यास के आध घण्टा बाद स्नान करना चाहिए।

अभ्यास के समय नियम 

  • अभ्यास की शुरुआत किसी प्रार्थना अथवा स्तुति से करना चाएि। इससे मन एवं मस्तिष्क शांत व शिथिल होते हैं तथा एक अच्छा वातवरण बनता है। 
  • योग अभ्यासों को आरामदायक स्थिति में शरीर एवं श्वास-प्रश्वास की सजगता के साथ धीरे-धीरे  करना चाहिए।
  • योग अभ्यास के समय श्वास-प्रश्वास की प्रक्रिया सदैव नासिका छिद्रों से ही होनी चाहिए, जब तक कि आपको अन्य विधि से  श्वास-प्रश्वास लेने के लिए कहा न जाए।
  • अभ्यास आराम से, सजगता के साथ होना चाहिए, किसी प्रकार की जोर-जबरदस्ती अथवा झटका प्रदान न करें।
  • अपनी यथाशक्ति (शारीरिक एवं मानसिक क्षमता) के अनुसार ही योग का अभ्यास करना चाहिए। किसी दूसरे को देखकर कदापि नहीं।
  • अभ्यास के अच्छे परिणाम आने में कुछ समय लगता है, इसलिए लगातार और नियमित योग का अभ्यास बहुत आवश्यक है।
  • प्रत्येक योग अभ्यास के लिए ध्यान देने योग्य निर्देश एवं सावधानियां तथा सीमाएं होती हैं। ऐसे निर्देशों को सदैव अपने मन में रखना चाहिए।
  • योग अभ्यास का समापन सदैव ध्यान एवं गहन मौन तथा शांति पाठ से करना चाहिए।

अभ्यास के बाद

  • अभ्यास के 20-30  मिनट के बाद स्नान किया करना चाहिए।
  • अभ्यास के 20-30 मिनट बाद ही आहार ग्रहण करना चाहिए।

निष्कर्ष 

  • योग का अभ्यास किसी योग्य योग प्रशिक्षक की देख-रेख अथवा प्रशिक्षण लेकर ही करना चाहिए। 
  • वीडियो या पुस्तक पढ़कर योग अभ्यास करने से बचें। 


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