रंग-किरण-चिकित्सा : करियर

 

कलर   मेडिसिन 

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रंग-किरण चिकित्सा क्या है?

क(caps)लरथेरेपी: आज के समय में लोग इलाज के लिए दवाईयों का सहारा नहीं लेते, बल्कि वैकल्पिक चिकित्सा पर अधिक जोर देते है। जिसके कारण कई तरह की चिकित्सा पद्धति अब प्रचलित होने लगी हैं। इन्हीं में से एक है क्रोमो थेरेपी। 'क्रोमो' का अर्थ है रंग और 'पैथी' का अर्थ उपचार-पद्धति।  इसे कलर थेरेपी, लाइट थेरेपी, हेलियो थेरेपी या कोलोरोलॉजी के नामों से भी जाना जाता है। सूर्य के प्रकाश में कई तरह के रंग होते हैं जो हवा को शुद्ध करते हैं तथा वातावरण, पानी एवं जमीनी कीटाणुओं का नाश करते हैं। यह सब नैसर्गिक रूप से नियमित होता है। 
क्रोमोपैथी-पद्धति द्वारा कई प्रकार के रंगों से तरह-तरह के पुराने और नए रोगों को ठीक किया जा सकता है, विशेषत: स्पॉन्डोलाईटिस, आर्थोरेटिस, सन्धिवात, सर्दी, ब्रोन्कोइटिस, दमा, कान दर्द, आँखों की विभिन्न बीमारियाँ, आधाशीशी-माइग्रेन, एसिडिटी, अल्सर, सिरदर्द के सभी प्रकार, टॉन्सिल्स, पाचनविकार, कब्ज, डिसेन्ट्री, दाद, सोरायसिस इत्यादि त्वचा की बीमारियाँ, नर्वसनेस मानसिक बिमारियों, उदासीनता, श्वेतप्रदर, अन्धत्व, स्तन के गाँठ, स्त्रियों के मासिक धर्म की सभी शिकायतों, छोटे बच्चों की सभी प्रकार की बिमारियों आदि पर भी यह उपचार-पध्दति नियमित रूप से लेने पर लाभ पहुँचाती है।  
कलर थेरेपी के अनुसार, मनुष्यों में कई विकार और रोग शरीर के ऊर्जा केंद्रों या चक्रों में असंतुलन के कारण होते हैं। प्रत्येक रंग शरीर के अलग−अलग हिस्सों से जुड़ा होता है यानी, विभिन्न ऊर्जा केंद्र, जिन्हें चक्रों के रूप में जाना जाता है और उनके स्वयं के प्राकृतिक उपचार गुण होते हैं। शरीर की प्रत्येक कोशिका को प्रकाश ऊर्जा की आवश्यकता होती है और जब रंग सही तरीके से प्रकाश के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं, तो इससे वे शरीर के उपचार गुणों को सक्रिय करते हैं। जिससे हीलिंग प्रोसेस काफी तेज होता है।

 

उपयोगिता 

  • यह कम खर्चीली और सर्व-सुलभ चिकित्सा पध्दति है। 
  • रंग-किरण-चिकित्सा में औषधियों का जहरीला उपयोग नहीं होता तथा इनमें दुष्प्रभाव भी नहीं होता है। 
  • उपचार के समय न किसी प्रकार का दर्द होता है और न किसी प्रकार की तकलीफ ही होती है। 
  • दवा की उपाय-योजना जिस प्रकार एकदम सरल, सीधी तथा निसर्ग नियमों के साथ रहती है, उसी प्रकार इसका लाभ भी अवश्य ही मिलता है। 


स्किल्स

अगर आप कलरथेरेपी में करियर बनाना चाहते हैं तो आपमें कुछ स्किल्स होने चाहिए। सबसे पहले तो आपमें इस क्षेत्र में काम करने की रूचि होनी चाहिए। साथ ही लोगों की मदद करने का जज्बा होना चाहिए। एक बेहतर  कलरथेरेपिस्ट  बनने के लिए आपको व्यक्ति पर प्रत्येक रंग के प्रभाव के बारे में जानकारी होनी चाहिए। चूंकि आपको लोगों से जुड़कर काम करना होता है, इसलिए आपके कम्युनिकेशन स्किल्स भी उतने ही बेहतर होने चाहिए। साथ ही आपको उतना ही अच्छा श्रोता भी होना चाहिए ताकि आप अपने पेशेंट की समस्याओं को बेहतर तरीके से सुन व समझ सकें।

योग्यता

कलरथेरेपिस्ट बनने के लिए आपका 12वीं पास होना चाहिए। वहीं कलर थेरेपी में डिप्लोमा की अवधि छह महीने से एक साल है। वहीं बैचलर सर्टिफिकेशन कोर्स दो साल का होता है।

संभावनाएं

एक क्वालिफाइड कलरथेरेपिस्ट हॉस्पिटल्स से लेकर नेचुरोपैथी क्लिनकि, हेल्थ सेंटर्स में काम कर सकता है। इसके अलावा आप खुद का थेरेपी क्लिनकि भी खोल सकते हैं। 

आमदनी

कलरथेरेपिस्ट की आमदनी उनके स्किल्स और उनके अनुभव के आधार पर तय होती है। अधिकांश   कलरथेरेपिस्ट  सेल्फ इंप्लाइड होते हैं और इसलिए आप प्रतिघंटे के आधार पर चार्ज कर सकते हैं।



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