उच्च रक्तचाप : मौन हत्यारा

 उच्चरक्तचाप: मौन हत्यारा 


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आज पूरी दुनिया में उच्च रक्तचाप यानि हाइपरटेंशन (Hypertension) एक गम्भीर समस्या बनी हुई है। आम भाषा में इसे उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) कहते हैं। उच्च रक्तचाप की बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की पहचान शीघ्र नहीं हो पाती इसलिए इसे ‘मौन हत्यारा’ कहा जाता है। आयुर्वेद शास्त्रों में इसका वर्णन वात रोगों के अन्तर्गत आता है।  इसका आयुर्वेदिक नाम 'शिरागत वात' है।  रक्तवाहनियों तथा धमनियों पर रक्त का अधिक दबाव पड़ना  और उनका कठोर हो जाना ही 'शिरोगत वात' है।  

Moreover, the ancient manuscripts of Sushruta Samhita, Charaka Samhita, Ashtanga Hridaya state that hypertension is triggered due to exacerbated Vata dosha leading to disharmony in the three bodily doshas of Vata, Pitta and Kapha.

शिरा (vein) और कोशिकाओं (Cells) की दीवारों पर भी रक्त के अधिक दबाव के कारण उच्च रक्तचाप होता है।  यह दो प्रकार का होता है-

  1. उच्च  रक्तचाप  या शिरागत वात। 
  2. न्यून   रक्तचाप   (लो ब्लडप्रेशर)   
यहाँ पर केवल 'उच्च  रक्तचाप' का ही वर्णन किया जा रहा है। 

उच्च रक्त के प्राथमिक लक्षण

  1. कमजोरी, नींद न आना, बोलने में कठिनाई एवं याददशात में कमी होना आदि।
  2. धुंधला दिखाई देना, चक्कर आना, घबराहट, सिर में तेज से दर्द होना आदि।
  3. कोशिकाओं में अच्छे से रक्त संचार न होने से सिर में दर्द एवं सिर में भारीपन होना।
  4. व्यक्ति की उम्र के बढने के पश्चात् शरीर धीरे-धीरे कमजोर हो जाती है, जिसके फलस्वरुप यह खतरनाक बीमारी उत्पन्न हो जाती है।

उच्च रक्तचाप के कारण

उच्च रक्तचाप किसी निश्चित उम्र वाले व्यक्ति के लिए सिमित नहीं है, परन्तु सामान्यतया 40 से 45 वर्ष के बाद ही इस बीमारी का सामना करना पड़  जाता है। शरीर में धमनियां एवं नसें जब कमजोर हो जाती हैं तो हृदय  को रक्त संचार करने में कठिनाइयों का सामना करना पडता है। जिसके कारण रक्त को कोशिकाओं में ले जाने पर दबाव बढ़ जाता है, जिसके कारण उच्चरक्तचाप की स्थिति बढ़  जाती है।

उच्चरक्तचाप योग एवं प्राणायाम

नित्य योगाभ्यास करने से व्यक्ति उच्चरक्तचाप से निदान पा सकता है। योगाभ्यास करने से शरीर का अशुद्ध तत्व बाहर निकल जाता है। जिससे व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है। योग चिन्ता द्वारा उत्पन्न रक्तचाप को कम करता है। यह अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र को शान्त करता है और हृदय की कार्यक्षमता को स्थिर करता है। कांसियस ब्रीदिंग उच्चरक्तचाप को जल्द ही कम कर देता है। अतः उच्च रक्तचाप से बचने के लिए व्यक्ति के लिए नित्य योग एवं प्राणायाम आवश्यक रुप से करना चाहिए।   नीचे  उच्च रक्तचाप में लाभदायी   आसन, प्राणायाम, ध्यान एवं योग निद्रा की जानकारी  दी जा रही है, जिन को दैनिक जीवन में अमल करने से उच्चरक्तचाप से बचा जा सकता है-

उच्च रक्तचाप में लाभदायी आसन 

वज्रासन, 

पदमासन, 

सिंहासन, 

मकरासन, 

शलभासन, 

कटिचक्रसन,  

श्वासन, 

वज्रासन, 

उत्तानासन, 

शिशु आसन, 

बालासन, 

मत्स्येन्द्रासन, 

जानुशिरासन, 

वीरासन, 

सेतुबन्धासन

उपयोगी प्राणायाम 

भस्त्रिका, 

अनुलोम-विलोम, 

भ्रामरी, 

उज्जायी 

और ध्यान 

एवं  योग निद्रा 

उच्च रक्तचाप में निषेध योगासन

कुछ योगासन जैसे-सर्वांगासन और शीर्षासन उच्च रक्तचाप में नहीं करने चाहिए। ये दोनों अभ्यास सिर में रक्त दाब को सबसे अधिक बढ़ाती  हैं। क्योंकि इसमें पैर तथा मध्य शरीर सिर से उपर रहता है तथा सिर हृदय के नीचे रहता है। इसके अलावा विरीतकरणी आसन भी उच्च रक्तचाप के रोगी को नहीं करना चाहिए।

योगासन के अलावा प्राणायाम या श्वास प्रक्रिया का अभ्यास भी उच्च रक्तचाप को कम करने में सहायक होते हैं। 

उच्च रक्तचाप में आहार

  1. अगर व्यक्ति का आहार-विहार ठीक नहीं है तो भी उच्चरक्तचाप हो सकता है।
  2. उच्च रक्तचाप के बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को सात्विक आहार से युक्त होना चाहिए।
  3. अधिक से अधिक ताजे फल एवं हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
  4. आहारार्थ गेंहू, ज्वार, बाजरा, मकई, जौ, चावल एवं अंकुरित आहार लेना चाहिए।
  5. नमक का प्रयोग न्यून मात्रा में करना चाहिए।

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